क्या सच में लड़कियों को देखकर हस्तमैथुन करते थे बीएचयू के छात्र?
क्या ये ख़बर सिर्फ प्रोपगेंडा पर आधारित है या हकीकत में ऐसा ही है?
एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय BHU में जब लड़कियों से छेड़खानीं और कूर्ती में हाथ ड़ालनें की बात सामनें आई तो लोग सकते में रह गये। यही नहीं गर्लस हॉस्टल की खिड़कीयों में देखकर हस्तमैथुन करनें की भी बात सामनें आई।
छात्राओं ने बताया ‘लड़के छात्रावास के बाहर आकर आपत्तिजनक हरकतें करते हैं। पत्थर फेंकते हैं। छात्राओं के खिलाफ आपत्तिनजक शब्द बोलते हुए निकलते हैं। वो हमारे हॉस्टल कि खिड़कियों में देखकर हस्तमैथुन तक करते हैं।’
जब हमनें इस मुद्दे पर कुछ छात्रों से बात की तो ये बात सच निकली, दिलीप नाम के एक छात्र नें कहा कि कैंपस में कुछ ऐसे छात्र हैं जो ऐसी हरकतों से बाज नहीं आते।
छात्राओं ने इस मामले की लिखित शिकायत भी की है। चीफ प्रोटेक्टर को लिखे गये पत्र में कहा गया है कि ‘छात्राओं को आए दिन अनेक सुरक्षा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। छात्रावास आने-जाने का मार्ग भी सुरक्षित नहीं है।
बी.ए राजनितिक शास्त्र की छात्रा वसुधा नें बताया कि याहां आए दिन छेड़खानी होती रहती हैं। यहां तक की अंतर्राष्ट्रीय छात्राओं को भी ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये लेटर वायरल हो रहा है, जिसमें ऐसा कहा गया है। हालांकि इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।
दूसरी तरफ बीएचयू की अन्य छात्राओं का आरोप है कि यहां छात्राओं को सुरक्षा बहुत कम दी जाती है। यहां उत्पीड़न बहुत ही आम बात है। आमतौर पर छात्राओं को रोज ऐसी परिशानियों से गुजरना पड़ता है।
1916 ई. में मदन मोहन मालवीय ने जब बनारस हिंदू विश्वविद्याल की नींव रखी होगी तो शायद ही सोचा होगा कि विद्ययाऽमृतमश्नुते के ध्येय वाले इस विश्वविद्यालय को ये दिन देखना पड़ेगा। ज्ञान के मंदिर को बढ़ावा देने वाले इस विश्वविद्यालय के छात्रों का ये कैसा ज्ञान? दुर्गा पूजा शुरू हो चूका है, जहाँ कोने-कोने में लोग देवी की पूजा-अर्चना करते हैं। वहीँ बीएचयु जैसे संस्थान में बेटियाँ सुरक्षा और सम्मान जैसे बुनियादी मुद्दों से दो-चार हो रही हैं। असुरक्षा का माहौल ऐसा है कि उन्हें सड़क पर आना पड़ गया है । लंका के नाम से प्रसिद्ध गेट जहाँ दो दिनों से छात्राएं अपनी सुरक्षा की मांग कर रही हैं और पुलिस उनपर लाठियां बरसा रही है।
बहरहाल अपनी अस्मिता और सुरक्षा की मांग के लिए प्रदर्शन कर रही छात्राओं का यही कहना है कि अब छेड़खानी बर्दास्त नहीं होती।