झारखंड में पहली बार ‘माटी कला बोर्ड’ का गठन
राज्य सरकार ने ‘झारखंड माटी कला बोर्ड’ का गठन किया है। लोहरदगा के सरना टोली निवासी श्रीचंद प्रजापति इसके अध्यक्ष होंगे ।
इसके अतिरिक्त बोर्ड में पांच और सदस्य भी नामित किये गये हैं। जिसमें गोड्डा निवासी राजेंद्र पंडित, पूर्वी सिंहभूम निवासी गंगाधर पंडित, रांची के नीरज प्रजापति, बोकारो निवासी ईश्वर प्रजापति व डाल्टेनगंज निवासी अविनाश देव शामिल हैं। इस संबंध में उद्योग विभाग ने आज अधिसूचना जारी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार राज्य में कुम्हारों एवं माटी-शिल्पियों के सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्पित है। प्रदेश में एक बड़ा तबका माटी-शिल्प परिवार से संबध रखता है, एवं अपने पारंपारिक कार्य के माध्यम से जीवन-यापन हेतु देवी, देवताओं, गमला, मटका, हाथी-घोड़ा, कुल्हड़, दीया व अन्य साज-सज्जा के कलात्मक बस्तुओं के उत्पादन कर अपना जीवन-यापन करता है।
अतः राज्य सरकार व्दारा कुम्हारों के आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उक्त कार्य करने वाले कारीगरों को तकनीकी सुविधा, आर्थिक सहायता एवं कार्य के विकास तथा विपणन आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं समस्याओं के निराकरण हेतु झारखंड माटी कला बोर्ड किया गया है।
उन्होनें आशवस्त किया कि बोर्ड के गठन के बाद राज्य के कुम्हारों की आर्थिक व समाजिक स्थिति अवश्य सुधरेगी।
प्रजापति महासंघ लंबे समय से कर रहा था मांग
झारखंड प्रजापति महासंघ लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाता रहा है. महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद प्रजापति ने कहा कि झारखंड में कुम्हारों की आबादी करीब 14 लाख है, लेकिन जब से अलग राज्य का गठन हुआ है, कुम्हारों की अनदेखी होती रही है. कला बोर्ड का गठन महासंघ की सबसे प्रमुख मांग थी, जिसके लिए विभिन्न जिलों में धरना-प्रदर्शन भी हुए.