Khunti: नक्सल प्रभावित इलाकों में, खाली बोतलों के सहारे मोबाइल नेटवर्क
झारखंड के कुछ पिछड़े व सुदुर इलाकों में निजी या सरकारी मोबाइल कंपनियों की लापरवाही ‘डिजिटल झारखंड’ के गति में बाधक बन रही है।
मामला खूंटी जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में मौजूद मोबाइल नेटवर्किंग की समस्या से जुड़ा हुआ है, जहां ग्रामीण इलाकों में मोबाइल का नेटवर्क ढूंढने के लिए खाली बोतलों का सहारा लिया जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो डिजिटल झारखंड का सपना बोतलों के जरिए आगे बढ रहा है। एक रिपोर्ट…
खूंटी के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिस कैंपों में ‘डिजीटल झारखंड’ बोतलों में नजर आ रहा है क्योंकि नक्सल अभियानों के लिए तैनात इन जवानों के लिए मोबाइल नेटवर्क टावरो से नहीं बल्कि खाली बोतलों के भरोसे मिल रहा है।
कैंप में मौजूद जवान छोटू कुमार और उनके अधिकारियों की परेशानी यह भी है कि मोबाइल नेटवर्क नही होने के कारण जहां उन्हें अपने परिजनों से बात करने में परेशानी हो रही है वहीं उन्हेंनक्सलियों की टोह की जानकारी भी नही मिल रही है ….
जिले के पुलिस कप्तान भी मोबाइल कंपनियों की इस लापरवाही से बेहद परेशान हैं ….खूंटी एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा का कहना है कि संबंधित कंपनियों से फिलहाल इस संबंध में कोई शिकायत नही की गई है लेकिन कंपनियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
बोतलों के जरिए मोबाइल नेटवर्क ढूढंने की यह कवायद मोबाइल कंपनियों के दावों पर कई सवाल खड़ा करता है जो विज्ञापनों के जरिए विभिन्न मीडिया माध्यमों के जरिए नजर आते हैं।
ऐसे में अब देखना होगा कि इस समस्या को खत्म करने की पहल मोबाइल कंपनियां कैसे करती है और इन जवानों को इन बोतलों से छुटकारा कब तक मिल पाता है?