वनभूमि का अतिक्रमण करने वाले भू-माफिया सुधर जायें!
झारखण्ड वन उपज सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुये मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वनभूमि का अतिक्रमण करने वाले भू-माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। वे आज झारखण्ड वन उपज सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
बैठत में वनभूमि पर आश्रित रैयतों के वन उपज काष्ठ में 2016 के निर्धारित क्रय मूल्य से 7% की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से झारखण्ड वन उपज अधिनियम 1984 की धारा 6 में शामिल प्रजाति के वृक्ष साल, सागवान, बीजा साग, गम्हार, आसन, करम, सलई एवं खैर के प्रकाष्ठ यथा चिरान लकड़ी, गोल लकडी, पोल, केसिंग पोस्ट, जलावन, खैर आदि के ग्रामीण रैयतों को सीधा लाभ मिलेगा।
वनभूमि पर आश्रित रैयत को लकड़ी बेचने पर अब 7% अधिक मूल्य मिलेगा। उनकी आय बढ़ेगी। जलावन, सागवान, गम्हार आदि की बिक्री पर ज्यादा लाभ मिलेगा।
— Raghubar Das (@dasraghubar) June 27, 2017
समिति के सुझावों पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वनभूमि की घेराबन्दी की जानी चाहिए जिससे वन का सम्यक विकास हो सके। समिति के सदस्यों ने गढ़वा के नगर उंटारी तथा बगोदर के तेलिया प्रखंड के कुछ ऐसे रैयतों की जिनकी जमीन सर्वे में राजस्व की जगह वन भूमि में भूलवश चिन्हित हो गयी है उसमें सुधार के लिए सुझाव दिया। जिसका उन्होने वन और राजस्व विभाग को तुरन्त चिन्ह्ति कर जांच करने का निर्देश दिया साथ ही उन्होने समिति से परस्पर समन्वय बनाते हुए और रैयतों के हितों को प्राथमिकता देते हुए आवश्यक सुधार करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन का अर्थ केवल वृक्ष ही नहीं बल्कि संपूर्ण वन्य जीवन है। अतः वृक्ष के साथ वन के जीव-जन्तु और वन पर आश्रित रहने वाले हमारे ग्रामीणों का हित भी महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि वन पर आश्रित रैयतों के हितों को देखते हुए क्रय मूल्यों में 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। उन्होने समिति से वनोत्पाद के समुचित कीमत निर्धारण के साथ-साथ वन्य जीवन से सम्बद्ध अन्य महत्पूर्ण सुझाव देने की भी अपील की।