नोटबंदी के 5 साल : ऑंकड़ों में जानिये क्या खोया? क्या पाया?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के पूरे 5 साल हो गये हैं। 8 नवंबर 2016 को अचानक किये गये नोटबंदी के ऐलान के बाद उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे। क्योंकि इससे 3 साल पहले पुणे के अर्थक्रांति प्रतिष्ठान के अनिल बोकिल ने बीजेपी नेताओं को नोटबंदी का प्रपोजल दिया गया था। उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। ऐसे में इसके लागू किये जाने के बाद 5 सालों में कितना बदलाव आया यह जितना दिलचस्प है उतना ही जरूरी भी।
आंकड़ों पर गौर करें तो नोटबंदी के 5 साल के बाद भी देश में करेंसी नोटों का चलन बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि इसके साथ ही साथ डिजिटल पेमेंट भी तेजी से लगातार बढ़ रहा है और लोग कैशलेस पेमेंट को भी अपनाते जा रहे हैं।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को चलन में कुल नोटों का मूल्य 17.74 लाख करोड़ रुपये था। लेकिन अक्टूबर 2021तक यह बढ़ते हुए 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। यानी नोटबंदी के बाद से अब तक वैल्यू के लिहाज से नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले 1 साल में तुलना करें तो 30 अक्टूबर 2020 को सर्कुलेशन में रहने वाले नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था, यानी कोरोना काल में पिछले एक साल में नोटों का सर्कुलेशन करीब 8.5 फीसदी बढ़ गया।
31 मार्च 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में सर्कुलेशन में रहने वाले कुल बैंक नोट के वैल्यू का 85.7 फीसदी हिस्सा 500 रुपये और 2,000 रुपये नोट का है हालांकि यह भी है कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 2,000 के नए नोट नहीं छापे गए हैं।
Digital Transaction बढ़ा
एक रिपोर्ट के अनुसार नोटबन्दी के बाद देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में भी वृद्धि हुई है, क्रेडिट-डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग आदि सभी तरीकों से Digital Payment बढ़ा है। UPI की शुरुआत भी साल 2016 में हुई थी।
नोटबंदी से तत्काल असर पड़ा था, सिस्टम में वापस आया पैसा
रिजर्व बैंक की अपनी साल 2018 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि नोटबंदी के बाद करीब 99 फीसदी करेंसी सिस्टम में वापस आ गई, यही नहीं प्रॉपर्टी जैसे कई सेक्टर में भी कैश का लेन-देन कम नहीं हुआ है। रिजर्व बैंक द्वारा दिसंबर 2018 और जनवरी 2019 में 6 शहरों के बीच किए गए एक पायलट सर्वे में पता चला कि नियमित खर्चों के लिए लोग लेन-देन में कैश को ही तरजीह देते हैं।