Raksha Bandhan Shubdh Muhurat 2024: इतने बजे तक भद्रा इसके बाद शुभ मुहूर्त
Raksha Bandhan Shubdh Muhurat 2024: रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है जो भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधे रखता है। इस दिन भाई बहन के हाथ में रक्षा सूत्र मानती हैं तथा मस्तक पर टीका लगाती है।
रक्षाबंधन का अर्थ है (रक्षा+ बंधन) किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना राखी बांधते समय बहन कहती है कि भैया मैं तुम्हारी शरण में हूं मेरी सब प्रकार से रक्षा करना!
Raksha Bandhan Shubdh Muhurat 2024: रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त
संवत् 2081 शाके 1946 श्रावण मास के पूर्णिमा दिनांक 19.8.2024 सोमवार समय 1:25 दिन तक भद्रा है। इसलिए भद्रा मैं रक्षाबंधन निषेध माना गया है। अर्थात 1:25 दिन के बाद राखी बांधनेका शुभ मुहूर्त है।
एक बार भगवान श्री कृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी और खून गिरने लगा उस समय द्रोपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू को कॉल करके तुरंत कृष्ण भगवान के हाथ में पट्टी बांधी थी। इसी बंधन के कारण भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी के रीनी बन गए श्री कृष्ण ने दुशासन द्वारा चीर हरण खींचते समय द्रोपदी की लाज रखी थी।
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मध्यकालीन इतिहास में भी एक ऐसी घटना मिलती है कि चित्तौड़गढ़ की हिंदू रानी कर्णावती ने दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूं को अपने भाई मान करके उसके पास राखी भेजी थी हुमायूं ने रानी कर्मवती की राखी स्वीकार कर ली और उसके सम्मान की रक्षा के लिए गुजरात के बादशाह से युद्ध किया। Raksha Bandhan Shubdh Muhurat 2024
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा: Raksha Bandhan Shubdh Muhurat 2024
इस कथा में उल्लेख है कि एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण पूछा कि हे भगवान मुझे रक्षाबंधन की वह कथा सुनाइए जिससे मनुष्य की प्रेत बाधा तथा दुख दूर हो जाते हैं।
इस पर भगवान ने कहा कि हे पांडव श्रेष्ठ प्राचीन समय में एक बार देवो तथा असुरों में 12 वर्षों तक युद्ध चलता रहा इस संग्राम में देवराज इंद्र की पराजय हुई देवता कांति विहीन हो गए इंद्र विजय की आशा को तिलांजलि देकर देवताओं सहित अमरावती चले गए।
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विजेता दैत्यराज ने तीनों लोगों को अपने वश में कर लिया उसने उसने राजपद से घोषित कर दिया कि इंद्रदेव सभा में ना आएं तथा देवता एवं मनुष्य यज्ञ कर्म ना करें सब लोग मेरी पूजा करें जिसको इसमें आपत्ति हो वह राज छोड़कर चला जाए दैत्य राज की इस आज्ञा से यज्ञ वेद पाठ पठन पाठन तथा उत्सव समाप्त हो गए धर्म के नाश होने से देवों का बल घटने लगा।
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इधर इंद्र दानवों से भयभीत हो बृहस्पति को बुलाकर कहने लगे हे गुरु मैं शत्रुओं से घिरा हुआ प्रांणान्त संग्राम करना चाहता हूं पर होनी बलवान होती है जो होना होगा हो कर रहेगा पहले तो बृहस्पति ने समझाया कि कोप करना व्यर्थ है परंतु इंद्र कि हठवा दिता तथा उत्साह देखकर रक्षा विधान करने को कहा श्रावण पूर्णिमा के प्रातः काल रक्षा विधान संपन्न किया गया।
Raksha Bandhan Shubdh Muhurat 2024: रक्षाबंधन मंत्र
येनबब्दो बलिराजा दानवेंद्रो महाबल:।।
तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चला ।।
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इस मंत्रोच्चारण से बृहस्पति जी ने सावन पूर्णिमा के दिन इंद्र की रक्षा विधान किया सहधर्मिणी इंद्रानी के साथ वृत्र सहारक इंद्र ने बृहस्पति की मानी का अक्षरश:पालन किया।
इंद्रानी के ने ब्राह्मण परोहित द्वारा स्वस्तिवाचन कराकर इंद्र के दाएं हाथ में रक्षा की पोटली बांध दी इसी के बल पर इंद्र ने दानवों पर विजय प्राप्त किया।