प्रधानमंत्री मोदी की अधिकारियों से खुले में ‘खुली बात’
पिछली शताब्दियों की प्रशासनिक प्रणालियों से ऊपर उठने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सचिवों के पास दुनिया की आबादी के छठवे हिस्से के जीवन स्तर में सुधार लाने का सुनहरा अवसर है। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानि वर्ष 2022 के लिए ठोस लक्ष्य निर्धारित करेंने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने को कहा।
प्रधानमंत्री ने सचिवों से आह्वान करते हुए कहा कि वे देश के विकास के लिए अपने संबंधित मंत्रालयों की सीमा रेखा से बाहर भी काम करें। वित्तीय समावेशन (जनधन योजना) और व्यापक रोगप्रतिरक्षण (मिशन इंद्रधनुष) जैसे क्रायक्रमों का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में सरकारी तंत्र के एक टीम के रूप में एकजुट होकर काम करने से कुछ सर्वश्रेष्ठ परिणाम निकले हैं। उन्होंने इन संस्थाओं के परिणामोन्मुखी होने पर ज़ोर दिया।
स्वच्छता अभियान पर बोलते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता इसका जोरदार समर्थन देने के लिए आगे आई है और इसके बल पर प्रशासनिक स्तर पर एक क्रांति हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली जुलाई से जीएसटी का लागू होना देश के इतिहास में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने सचिवों से कहा कि वे इस बदलाव के लिए सकारात्मक तौर पर तैयारी करें ताकि सहज रूप से सुधार सुनिश्चित हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा विश्व आज भारत को विश्ष्टि रूप में देख रहा है और यह एक ऐसा बेजोड़ अवसर है जिसे हमे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। उन्होंने सचिवों से आग्रह किया कि हमें वैश्विक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रणाली तैयार करने के लिए जुटना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के 100 सबसे अधिक पिछड़े जिलों के लिए एक ‘मिशन मोड पहल’ के लिए भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इन जिलों के लिए एक छोटी समय-सीमा में विभिन्न मानदंडों पर आधारित विशेष लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए।
इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी व कई अन्य लोग मौजूद थे।