हर्षोल्लास से मना संताल आदिवासियों का नव वर्ष
संताल आदिवासियों कि धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति वर्ष का अंतिम दिन है। ठीक सकरात के दुसरे दिन यानी 15 जनवरी को संताल आदिवासी नये साल के रूप में मनाते हैं।
दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर आखड़ा और दिसोम मारंग बुरु संताली अरीचली आर लेगचर आखड़ा के संयुक्त तत्वधान में ‘मयूराक्षी नदी’ के तट पर संताल आदिवासियों का नववर्ष बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया।
संताल आदिवासियों कि धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति वर्ष का अंतिम दिन है। ठीक सकरात के दुसरे दिन यानी 15 जनवरी को संताल आदिवासी नये साल के रूप में मनाते हैं।
इस दिन को संताल आदिवासी नदी में नहाकर अपने पूर्वजो, मारंग बुरु, पुरोधोल गोसाय आदि इष्ट देवताओ की पूजा करते है और नदी में “जांग बाहा बोहोल” (हाल में मरे परिजन का नाखुन आदि नदी में बहाते हैं)।
इस अवसर में जनजातीय हिजला मेला परिसर में स्थित दिसोम मारंग बुरु थान में भी ग्रामीणों ने नव वर्ष के लिय पूजा-अर्चना किया.
बाबा मंगल मुर्मू और नायकी सीताराम सोरेन ने संताल समाज के लोगों को नववर्ष की शुभकामनायें दी और इसे अधिक से अधिक संख्या में मनाने का आग्रह किया, ताकि संताल आदिवासियों की संस्कृति से ज्यादा से ज्यादा लोग परिचित हों।
इस अवसर पर ग्रामीण आदिवासियों ने नाच-गान और पिकनिक का भी आनंद लिया। जिसमें लुखिन मुर्मू, लुखिराम मुर्मू, बाबुराम मुर्मू, नाथानियल मुर्मू, लोरेन मुर्मू, बाबुराम मुर्मू, एमेली हांसदा, बालेश्वर टुडू, रासमति किस्कू, म्र्शिला हेम्ब्रोम, सुनीता टुडू, बाहा टुडू, बसंती हेम्ब्रोम, ललिता सोरेन, सुनीता टुडू, मिनी मरांडी, रासमति किस्कू मकु टुडू के साथ काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थति थे।