झारखंड में एक और संतोषी की मौत!!!
भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश के हर नागरिक को ‘भोजन का अधिकार’ दिया है. फिर भी देश के किसी कोने में किसी की भूख से मौत हो जाये, तो यह दु:खद स्थिति होती है।
झारखंड में एक और मौत पर बवाल मच गया है। गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड में बुधनी साेरेन नाम के एक आदिवासी महिला की मौत हुई है, जिसे एक पक्ष भूख से मौत का मामला बता रहा है, जबकि अधिकारियों का कहना है कि बुधनी की मौत ठंड से हुई है।
जिस इलाके में महिला मरी है, वह झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के सबसे बड़े नेता बाबूलाल मरांडी का गृह जिला है।
लोगों का कहना है कि गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड में स्थित सेवाटांड़ गांव की आदिवासी महिला बुधनी सोरेन ने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था।
इस संबंध में कुछ लोगों का कहना है कि महिला अपनी भूख मिटाने के लिए बेटे के स्कूल जाती थी, जहां वहां मध्याह्न भोजन खाया करती थी और इससे उसकी स्थिति समझी जा सकती है।
लेकिन यदि अपना पेट भरने के लिए किसी मां को स्कूल जाकर मध्याह्न भोजन में से अपने बेटे के हिस्से का खाना खाना पड़े, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है, यह भी एक सवाल है?
गिरिडीह प्रशासन ने इस बात से इनकार किया है कि बुधनी की मौत भूख की वजह से हुई है। प्रशासन ने स्पष्ट कहा है कि महिला की पिछले सप्ताह ठंड के कारण उसकी मौत हो गयी।
ग्रामीणों ने बताया कि बुधनी जंगल से पत्ते चुनकर दोना बनाती थी और उसे बेचकर जीवन यापन करती थी।कुछ दिनों पहले उसे ठंड लग गयी थी और वह घर से बाहर नहीं निकल पा रही थी। इसलिए अनाज खरीदने के पैसे उसके पास नहीं रह गये थे।
बुधनी की सौतेली बेटी सुनीता सोरेन ने कहा कि उसने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था। उनके पास न आधार कार्ड था, न राशन कार्ड। घर में कुछ खाने के लिए भी नहीं था।