झारखंड के 19 अति पिछड़े जिले, कब तक बने रहेंगे, ‘अभीलाषी’ जिले?

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संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों एवं विधायकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने सर्वांगिण विकास के संदर्भ में सामाजिक न्याय पर बात की।

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उन्होंने कहा कि जब सभी बच्चे स्कूल जाने लगेंगे और सभी मकानों को बिजली मिलने लगेगी, तभी सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम होगा।

उन्होंने इस बातपर जोर देते हुए कहा कि विकास की कमी का कारण बजट या संसाधन नहीं बल्कि शासन था।

मोदी ने कहा कि विकास के लिए सुशासन, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और पूर्ण ध्यान के साथ गतिविधियां चलाना आवश्यक है।

सरकार की आदत जल्दी परिणाम देने वाले उपायों पर ध्यान देने की है, जिसके परिणाम स्वरूप विकसित जिले और बेहतर परिणाम देने लगते हैं, जबकि पिछड़े जिले और पिछड़ जाते हैं।

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने इन 115 जिलों की पहचान ‘अभिलाषी’ जिलों के रूप में की है, पिछड़ों के तौर पर नहीं। क्योंकि पिछड़े शब्द के साथ नाकारात्मक भाव जुड़ा हुआ है।

विदित हो की इन 115 पिछड़े जिलों में सर्वाधिक 19 ज़िले झारखंड से ही हैं, जो विकास के मानकों से कोसो दूर हैं और राज्य गठन के बाद भी इन जिलों के हालत ज्यादा बदले नहीं हैं।

लेकिन सवाल ये उठता है कि राज्य में अबतक इस स्थिति के लिये जिम्मेदार कौन है?

क्या अबतक ज्यादा उम्र के DM(District Megistrate) विकास में बाधक रहे हैं?

इन जिलों की कमियों पर अबतक काम क्यों नहीं हुआ?

क्या अफसर और जनप्रतिनिधि अबतक साथ नहीं आये? 

इन जिलों के विकास के लिए युवा अफसरों का अबतक प्रोत्साहन नहीं हुआ?

विदित हो की संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित ‘राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन‘ में देशभर के 101 पिछ़ड़े जिलों के चुने हुए सांसद और विधायक हिस्सा ले रहे हैं जिनमें झारखंड के 6 विधायक और सांसद मौजूद हैं।

राज्य की जनता को आशा है कि झारखंड से गये प्रतिनिधि इस विषय पर अपनी बात प्रमुखता से रखेंगे!

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