झारखंड के इस ‘मददगार’ युवा नेता के बारे में कितना जानते हैं आप ?
‘झारखंड की बात’ के इस विशेष शृंखला में आज हम आपको झारखंड के एक ऐसा ‘युवा नेता’ से आपका परिचय करा रहे हैं जिससे आपसब थोड़ा-बहुत तो परिचय जरूर होंगे ! कोरोना काल में इनके द्वारा जरूरतमंदों को किये गए मदद झारखवासियों के स्मृतियों में हमेशा जिंदा रहेंगी।
कोरोनाकाल में जब लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डर थे तब इसकी विभीषिका झेल रहे लोगों व देशभर में फैले झारखवासियों को मदद पहुँचनेवालों में काफी कम नेताओं का नाम सामने आता है।
‘कुणाल सारंगी’ ऐसे ही नेताओं में एक हैं। कुणाल लौहनगरी जमशेदपुर से सटे बहरागोड़ा के पूर्व विधायक हैं। फर्राटेदार अंग्रेजी, हिंदी आदि क्षेत्रीय भाषाओं पर पकड़ रखने वाले नेताओं की गिनती झारखंड में ना के बराबर है। ऐसे में सूबे के सारे राजनैतिक दलों में अच्छे पढ़े लिखें राजनेता में इनकी गिनती होती है।
इंग्लैंड के प्रतिष्ठित लैंकेस्टर विश्विद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लगी तो इन्होंने ने उस जॉब को छोड़कर कर लोगों की सेवा करने को प्राथमिकता दी और राजनीति को चुना।
झारखंड राज्य के गठन होने के बाद राज्य के पहले स्वास्थ्य मंत्री दिनेश सारंगी के पुत्र कुणाल सारंगी ने पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा से साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर के बावजूद भारी मतों से जीतकर चुनाव लड़कर पहली बार विधानसभा पहुँचे।
विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के कारण इनकी भाषाई कुशलता में पारंगत होने के कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इन्हें मुख्य प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी व विधानसभा में पार्टी का ‘चीफ व्हिप’ बनाया जिसका इन्होंने बखूबी निर्वहन किया।
विधायक रहते इन्होंने गोवा में राष्ट्रीय सीपीए सम्मेलन, विजाग में राष्ट्रीय सचेतक सम्मेलन और उदयपुर में राष्ट्रीय सचेतक सम्मेलन, साथ ही नई दिल्ली में राष्ट्रीय विधानमंडल सम्मेलन 2018 में झारखंड विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। कुणाल को इनकी प्रतिभा के कारण भारत के सबसे बड़े छात्र सम्मेलनों में से एक ‘भारतीय छात्र संसद’ में 2016 में एमआईटी पुणे द्वारा ‘आदर्श युवा विधायक पुरस्कार’ से नवाजा गया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले वे झारखंड के पहले विधायक हैं।
श्री सारंगी को ‘इंटरनेशनल विज़िटर लीडरशिप प्रोग्राम- 2018’ के लिए भी चुना गया था, जो अंतरराष्ट्रीय नेताओं के लिए अमेरिकी सरकार के सबसे प्रतिष्ठित पेशेवर विनिमय कार्यक्रमों में से एक है। वे झारखंड के पहले विधायक हैं जिन्हें वाशिंगटन डीसी में इस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कार्यक्रम के लिए चुना गया था।
कोरोनाकाल में ‘कुणाल’ बना सहारा, हजारों लोगों की फरियाद को चुटकियों में किया हल
कोरोना की दूसरी लहर में लाखों लोगों की जानें चली गई। करोड़ों लोग कई महीनों तक अपने घरों में कैद रहे। इन सबके बीच कुणाल 24 घंटे कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, रेमेडिसियर आदि जरूरत की चीजों को उपलब्ध करा रहे थे।
रामगढ़ जिले के पतरातू प्रखंड के एक मरीज़ ‘अमित इंदवार’ बताते हैं कि जमशेदपुर के कई अस्पतालों में चक्कर काटने के बावजूद मरीजों को बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। ऐसे में पीड़ित युवक ने सोशल मीडिया पर कुणाल से संपर्क किया जिसके फौरन बाद मरीज को साकची स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बिहार के पटना से तालुक्कात रखने वाली उषा राय बताती हैं की कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेरे परिवार में ईश्वर के बाद कुणाल सारंगी का नाम घर में रहने वाले परिजन लिया करते थें। आज मेरे पति मेरे साथ हैं। इनकी दवा, अस्पताल में इनका उपचार कराना ये सभी कुणाल के कारण ही हो पाया। कुणाल ने उनकी मदद नहीं कि होती तो शायद उनके पति का आज जिंदा न होते!
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान कुणाल ने राष्ट्रीय पार्टी को प्राथमिकता दी व भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय कमिटी के द्वारा इन्हें राज्य के प्रवक्ता की जिम्मेवारी दी गई है जिस पद का ये बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। चुनाव में मिली हार के बावजूद लोगों की सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं तथा जरुरतमंदो को अपनी ओर से हरसंभव सहायता पहुँचाते रहते हैं जो शायद राज्य के जीते हुये जनप्रतिनिधि भी कम ही कर पाते हैं… अभिषेक कुमार की रिपोर्ट