जमशेदपुर: सिदगोड़ा पूजा पंडाल के गुम्बज हटाये जाने की तहक़ीक़ात करती ये रिपोर्ट…

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जमशेदपुर के सिदगोड़ा सिनेमा मैदान में  आयोजित दुर्गापूजा कमिटी द्वारा बनाए गए पूजा पंडाल के गुम्बज हटाये जाने के विवाद बढ़ गया है। पूजा कमिटी के लोग पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट व स्थानीय पुलिस पर इसका आरोप लगा रहे हैं वहीं पुलिस अधीक्षक का इसमें कोई रोल नहीं दिख रहा…इस पूरे मामले की तहक़ीक़ात करती अभिषेक कुमार की रिपोर्ट…

नवरात्रि के पावन पर्व में दुर्गा पूजा की अष्टमी की आधी रात सिदगोड़ा सिनेमा मैदान में पुलिस ने पहुँचकर जबरन पूजा पंडाल से गुम्बज को हटाया यह आरोप दुर्गा पूजा कमेटी के उपाध्यक्ष संजीव आचार्य के द्वारा लगाए गए हैं। संजीव आचार्य का आरोप है की जिला पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट अपने दल-बल के साथ मंगलवार की रात 12:30 के करीब सिनेमा मैदान आकर पूजा पंडाल के आसपास रखे सामानों को छतिग्रस्त किया और गुम्बज हटाये।

झारखंड रिपोर्टर की टीम ने जब इस विवाद के पीछे की असली कहानी जानना चाहा तो सच्चाई कुछ और ही थी। मंगलवार की रात 9.30 में शहर के पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट कोरोना प्रोटोकॉल की जाँच करने सिदगोड़ा सिनेमा मैदान पहुँचे थें। मैदान में बने पूजा-पंडाल में नियमों की अनदेखी की जा रही थी। इसपर श्री सुभाष ने पूजा-पंडाल के समिति के सदस्यों को राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक पूजा-पंडाल के निर्माण करने की बात कही इसके बाद वे वहां से चले गये।

पुलिस अधीक्षक श्री वहाँ से सुभाष पूर्वी अन्य पूजा-पंडालों में कोरोना के नियमों की जांच करने सिंहभूम के एडीएम नन्द किशोर लाल के साथ सिदगोड़ा स्थित बारीडीह चले गये। इसके बाद बिरसानगर स्थित हनुमान मंदिर दुर्गा-पूजा पंडाल में आम लोगों को मास्क पहनने के लिए जागरूक किया बिरसानगर से निकलकर SP ने टेल्को पूजा-पंडाल का निरीक्षण किया। टेल्को पूजा पंडाल के बाद बिस्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाऊस पुलिस विभाग के वरीय पदाधिकारी से मिले। एसपी श्री जाट गेस्ट हाउस में घंटों रुकने के बाद बिस्टुपुर गोलचक्कर में हुड़दंग मचाने वाले 2 लोगों पर कार्रवाई भी की। इसके बाद बिस्टुपुर स्थित सरकारी आवास बुधवार की अहले सुबह पहुँचे।

विदित हो कि 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी सुभाष चंद्र जाट
की गिनती एक ईमानदार अधिकारी के तौर पर होती है। पूर्वी सिंहभूम जिले के अधिकारी इनकी ईमानदारी से शहर छोड़ना पसंद करते हैं। जिले में सालभर के भीतर 142 से अधिक अपराधियों को
सलाखों के पीछे भेजने में इनका नाम है।

बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स आदि मीडिया संस्थानों में लिखने वाले स्थानीय पत्रकार मोहमद सरताज आलम कहते हैं “दुर्गा पूजा आस्था का प्रतीक है, इसमें राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए नियमों के मुताबिक पूजा करने की बात कही गई थी। लेकिन कई पूजा-पंडालों में कोरोना के नियमों की अनदेखी की जा रही है इसे एक धार्मिक रूप देकर पुलिस अधिकारियों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।”

फ़्रांस के पेरिश कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई कर चुके करण पांडेय ने का इस मामले पर मत है कि “दुर्गा पूजा के बहाने अपनी-अपनी राजनीति रोटी नेताओं द्वारा सेकी जा रही है। वहीं कानून की पढ़ाई कर रहे प्रवीण दुबे का कहना है कि “पूजा कमिटी और मीडिया के लोग मीडिया के पन्नों में आने के लिए ऐसी हरकतें कर रहे हैं।”

ज्ञात हो कि पुलिस प्रसाशन का काम आम लोगों की सुविधा के साथ-साथ लोगो को बेहतर सुरक्षा देने के अलावे सरकार के बनाये नियमों का पालन कराना भी है। ऐसे में इस पूजा पंडाल से गुम्बज को हटाया जाने के मामले में राजनीति की झलक दिखती है।

राज्य सरकार के द्वारा दुर्गा पूजा को लेकर नियम

  • छोटे पूजा पंडाल या मंडपों में ही दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाएगा।
  • पंडाल या मंडप के आस-पास किसी भी प्रकार के सजावट की अनुमति नहीं है।
  • पंडाल के आसपास किसी प्रकार के फूड स्टॉल लगाने की इजाजत नहीं है।
  • पंडाल का निर्माण इस तरह से किया जाए की यह चारों तरफ से घेरा गया हो।
  • दर्शक इसमें प्रवेश नहीं करें इस लिए इसे तीन तरफ से कवर किया गया हो। 
  • भक्त पंडाल के बाहर लगे बैरिकेड के पास से ही माता के दर्शन कर सकेंगे।

ज्ञात हो कि राज्य सरकार के आदेश के उल्लंघन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 के अनुसार और आइपीसी की धारा 188 के तहत भी कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है।

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