Banshidhar Mahotsav में प्रशासन ने किया सिर्फ खानापूर्ति: मंटू पाण्डेय

दो दिवसीय श्री बंशीधर महोत्सव Banshidhar Mahotsav का समापन हो गया, और जिला प्रशासन इसे सफल आयोजन मानकर अपनी पीठ थपथपा रहा होगा। लेकिन आयोजन के दौरान जो अव्यवस्थाएँ सामने आईं, उन्होंने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चाहे वह आयोजन स्थल की व्यवस्था हो, कलाकारों का चयन हो या फिर स्वयं श्री बंशीधर मंदिर की उपेक्षा—हर स्तर पर प्रशासन नाकाम साबित हुआ।
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Banshidhar Mahotsav: 70 लाख की राशि, लेकिन मंदिर में 70 रुपये भी खर्च नहीं!
सरकार द्वारा इस महोत्सव Banshidhar Mahotsav के लिए 70 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई थी, ताकि इसे भव्य रूप दिया जा सके और पर्यटन को बढ़ावा मिले। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़ी धनराशि आखिर कहां खर्च हुई? मंदिर के सौंदर्यीकरण पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया, जबकि पूरी राशि गायन-वादन और अन्य आयोजनों में बहा दी गई।
महोत्सव का मुख्य उद्देश्य श्री बंशीधर मंदिर को पहचान दिलाना और पर्यटन को बढ़ावा देना था। लेकिन जिन कलाकारों को इस बार बुलाया गया, उनकी पहचान तक किसी को नहीं थी। इसके विपरीत, पहले आयोजित महोत्सवों में महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध कलाकारों को बुलाया जाता था, जिससे महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती थी।
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Banshidhar Mahotsav: पास वितरण में भी गड़बड़ी, वीआईपी पास गलत हाथों में
Banshidhar Mahotsav में पास वितरण को लेकर भी भारी गड़बड़ी सामने आई। सभी श्रद्धालुओं को समान रूप से शामिल होने का अवसर मिलना चाहिए था, लेकिन कई सम्मानित व्यक्तियों को पास नहीं मिला, जबकि अनजान और अयोग्य लोगों के पास वीआईपी पास दिखे। इससे आयोजन की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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प्रशासनिक अव्यवस्था चरम पर, पूरी तरह फेल रहा जिला प्रशासन
महोत्सव स्थल पर व्यवस्थाओं की स्थिति बेहद दयनीय रही। मंदिर परिसर की सजावट से लेकर प्रशासनिक व्यवस्था तक सब कुछ अव्यवस्थित था। अधिकारियों ने बस किसी भी तरह महोत्सव पूरा करने की खानापूर्ति की, लेकिन महोत्सव का वास्तविक उद्देश्य कहीं पीछे छूट गया।
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Banshidhar Mahotsav: उपायुक्त से निष्पक्ष जांच की मांग
श्री बंशीधर महोत्सव की बदहाल व्यवस्थाओं, कलाकारों के गलत चयन, मंदिर सौंदर्यीकरण में लापरवाही और प्रशासनिक नाकामी को देखते हुए गढ़वा उपायुक्त से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
आम आदमी पार्टी नेता मंटु पांडेय ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि यदि जिम्मेदार अधिकारियों पर उचित कार्रवाई नहीं होती, तो यह आयोजन केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगा और इसका मूल उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा।
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