जमशेदपुर: किन्नर महिलाओं के दर्द बयाँ करती पुस्तक का हुआ विमोचन

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जमशेदपुर: माता पिता हम भी आपकी ही संतान हैं, ये आवाज़ है किन्नरों की जिन्हें समाज शादी ब्याह, बच्चे के जन्म पर घर तो बुलाता है लेकिन उनके जन्म पर खुशी नहीं मनाता बल्कि उसका परित्याग कर देता है। किन्नरों के इस दुख, संघर्ष और उनकी जीवन यात्रा की आवाज़ बनने की आस लिये एक पुस्तक मां-पापा हम भी आपकी संतान हैं का विमोचन जमशेदपुर के सोनारी कम्युनिटी में सेंटर हुआ।

इस पुस्तक की लेखिका हैं टाटा स्टील से सेवानिवृत्त अधिकारी चंद्रा शरण। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट की एडिशनरल डायरेक्टर रंजना मिश्रा, कोल्हान विवि की पूर्व कुलपति डा शुक्ला मोहंती बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुये। टाटा स्टील अर्बन सर्विसेज के हेड जीरेन टोप्पो कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और अपर्णा झा ने अतिथि के तौर पर शिरकत किया। करीम सिटी के मास कम्युनिकेशन के विभागाध्यक्ष डा नेहा तिवारी ने पुस्तक की समीक्षा को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान किन्नर समुदाय की संजना, बेबो समेत बड़ी संख्या में किन्नर बहनें शामिल हुईं।

पुस्तक की लेखिका चंद्रा शरण ने इस पुस्तक के माध्यम से लोगों को जगाने की कोशिश है। मीडिया से बातचीत करते हुए चंद्रा शरण ने कहा कि अगर माता पिता किन्नर संतान का परित्याग न करें तो समाज भी उनको सहज स्वीकार कर लेगा। जब वे मजबूत बनेंगी तो अपनी समस्याओं और अधिकारों की तरफ सरकार का ध्यान भी पुरजोर तरीके से उठा पाएंगी। ये आसान नहीं लेकिन नामुमकिन भी नहीं। कार्यक्रम के अतिथियों ने एक स्वर में इस बात की वकालत की कि ट्रा़सजेंडर को वे सारी सुविधाएं मिले जो एक आम इंसान को हासिल है। लेकिन सबसे जरूरी है सम्मान और हर क्षेत्र में जाने का अधिकार।कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डा शुक्ला मोहंती ने मांग की कि आम छात्रों की तरह किन्नरों को भी स्कॉलरशिप मिले। वहीं पुस्तक की समीक्षा करते हुए डा नेहा तिवारी ने इस पुस्तक को मील का पत्थर करार दिया जो आगे चलकर समाज की मनोवृत्ति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मुख्य अतिथि रंजना मिश्रा ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़कर उनलोगों में भी जिम्मेदारी का भाव आएगा। जिन्होंने किन्नर संतान का परित्याग कर दिया ये पुस्तक समाज बदलने का कार्य करेगी।

इच्छा शक्ति हो तो लोगों के नज़रिये में बदलाव आ जाते हैं…

पहले आधार में तीसरे जेंडर का जिक्र नहीं था लेकिन अब किन्नरों के आधार कार्ड बड़े पैमाने पर बनाए जा रहे हैं। पीएम आवास की सुविधा के लिए और प्रयास की जरूरत है। संजना किन्नर ने पुस्तक के बारे में बताया कि ये सिर्फ किन्नरों के जीवन संघर्ष की गाथा नहीं बल्कि समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि वह अपना नजरिया बदले। माता पिता स्वीकार ले तो फिर राह आसान हो जाती है। कार्यक्रम का संचालन करीना किन्नर ने किया। बेबो के ग्रुप ने बधाई नृत्य से अद्भुत समां बांधा।

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