कांग्रेस विधायकों का दर्द: घोषणा पत्र के अनुसार काम न होने पर जनता को क्या देंगे जवाब !

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झारखंड कांग्रेस विधायक दल की शुक्रवार को रांची में हुई बैठक में विधायकों का अपनी ही सरकार के प्रति दर्द छलक उठा। विधायकों ने बैठक में कहा कि सरकार से जितनी अपेक्षाएं थीं, उसके अनुसार काम नहीं हो रहा है।

Congress MLAs During CLP Meetings In Ranchi Yesterday

हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम, डॉ रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख भी इस बैठक में मौजूद रहे। विधायकों ने राज्य में नियोजन की नियमावलियों, ओबीसी आरक्षण, राज्य में 20 सूत्री कमिटियों के गठन और पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान से जुड़े मुद्दे उठाये और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम से कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ इन मुद्दों पर साफ-साफ बात की जाये।

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, “विधायकों ने चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार काम न होने से जुड़े मुद्दे उठाये हैं। घोषणा पत्र के कई बिंदुओं पर काम हुआ है और कुछ मुद्दों पर काम नहीं हुआ है, हम इन पर सरकार के अंदर और मुख्यमंत्री से बात करेंगे”

क्या कांग्रेस के विधायकों में राज्य की सरकार से नाराजगी है? इस सवाल पर कांग्रेस विधायक दल के नेता ने कहा कि ऐसा नहीं है, लेकिन विधायकों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं और घोषणा पत्र में किये गये कई वादों के पूरा न होने पर चिंता जतायी है इन मुद्दों पर जल्द ही मुख्यमंत्री जी से बात की जायेगी।

सूत्रों के अनुसार, कई कांग्रेस विधायकों ने बैठक में राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियुक्ति नियमावली में मगही, मैथिली, भोजपुरी, हिंदी और अंगिका को शामिल नहीं किये जाने पर सवाल उठाया। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए मैट्रिक और इंटर झारखंड से पास करने की बाध्यता के नियम पर भी विधायकों ने नाराजगी जतायी। उनका कहना था कि सरकार के इस निर्णय से युवाओं में आक्रोश है, विधायकों को क्षेत्र में लोगों के सवालों का जवाब देना पड़ता है। इसके अलावा राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का मुद्दा उठाते हुए विधायकों ने कहा कि हमलोगों ने घोषणा पत्र में पिछड़ी जाति को जनसंख्या के आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था, अब इसपर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

इधर, इस बैठक के पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि हमारी पार्टी झारखंड सरकार में साझीदार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम हर मुद्दे पर आंख मूंदकर सरकार का समर्थन करते हैं। विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार को सभी पेंडिंग मुद्दों पर टालमटोल के बजाय ठोस फैसला लेना चाहिए। विधायक ममता देवी ने भी क्षेत्र में अफसरों द्वारा कांग्रेस विधायकों, नेताओं और कार्यकतार्ओं को तवज्जो न दिये जाने की बातें कई बार कही हैं।

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