झारखण्ड के इस IPS के बारे में पढ़कर समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है…

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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) जैसा प्रतिष्ठित परीक्षा पास करना देश के हर पढ़े-लिखे युवा का सपना होता है। प्रतिवर्ष हजार के करीब अभ्यर्थी इस कठिन परीक्षा को पास कर अधिकारी बनते हैं लेकिन इन अधिकारियों में बहुत कम ही अपने काम के जरिए देश व समाज को प्रेरित कर पाते हैं। हम ऐसे ही एक अधिकारी (आईपीएस) की प्रेरणादाई कहानी से आपको अवगत करा रहे हैं जिनकी ‘अपराधमुक्त समाज’ की परिकल्पना से बड़े-बड़े मुज़रिम आज सलाखों के पीछे हैं। अगर ये पुलिस सेवा में न होते तो शायद भारतीय क्रिकेट टीम में खिलाड़ी के रूप अपना योगदान दे रहे होते !

आईपीएस सुभाषचन्द्र जाट (फाइल फ़ोटो)

ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठता, जुनून, और सच्चाई की बातें सिर्फ किताबों के पंन्नो तक ही सिमट कर न रह जाये वास्तविक जीवन में भी इन शब्दों का मोल हो इस आईपीएस का जीवन कुछ ऐसा ही है। हम आपको ऐसे ही एक आईपीएस से परिचय करा रहे हैं जिनके कामों की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में होती है।

2015 बैच के आईपीएस अधिकारी सुभाषचन्द्र जाट मूल रूप से राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई झारखंड के ISM(अब आईआईटी धनबाद) से की है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अव्वल आने के कारण उन्हें कॉलेज की तरफ़ से गोल्ड मेडल से पुरस्कृत किया गया था। इतना ही नहीं कॉलेज प्रबंधन की और से सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में उन्हें चुना गया जहां उन्हें राजनीति डिबेड के लिए प्रेसिडेंट अवार्ड भी मिला।

IPS की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद साल 2017 में उनकी पहली पोस्टिंग झारखंड के बोकारो में बतौर  एसडीपीओ (ट्रेनिंग आईपीएस) के रूप में हुई। सुभाषचन्द्र वर्ष 2018 से 2019 तक जमशेदपुर ग्रामीण एसपी की ज़िम्मेदारी भी निभा चुके हैं। वर्ष 2019 से जमशेदपुर के शहरी क्षेत्र में बतौर पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थापित हैं।

जमशेदपुर की फिजाओं में घुल रहे ‘नशे के जहर’ को रोका

जमशेदपुर के युवक-युवतियां आये दिन नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। आए दिन दर्जनों युवा अत्यधिक नशे के कारण जिंदगी से हाथ धो रहे है। इन दिनों शहर में अफीम, ड्रग्स की तस्करी जोर-शोर से हो रही है। 1996-1997 के बाद जमशेदपुर में एक बार फिर से ब्राउन शुगर का कारोबार फैलता जा रहा है। 1996 के दशक में बिष्टुपुर स्थित धतकीडीह के सोनकर और शंकर मुखी का वर्चस्व इस कारोबार में मुख्य रूप से था। वर्ष 2018 के शुरुआती महीनों में लौहनगरी के कई युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में आ चुके थें। तभी पुलिस अधीक्षक नगर के रूप में सुभाषचन्द्र की तैनाती लौहनगरी जमशेदपुर में की गई। नशे को रोकने के लिए सिटी एसपी के नेतृत्व में शहर के कई थानों को सब जोन में बांटा गया। इनमें ऐसे पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई जिन्हें नशे के कारोबार को ध्वस्त करना था। दो वर्षों तक पुलिस की कड़ी पहल के कारण शहर में नशे का कारोबार कर रहे 120 अपराधियों को शहर के अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया।

इसका एक उदाहरण 18 फरवरी 2021 को सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के भुइयांडीह से पुलिस ने ब्राउन शुगर बेचने वाले व मोस्ट वांटेड अजय यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। दूसरा 9 फरवरी 2021 को जुगसलाई थाना क्षेत्र से पुलिस ने 3 महिलाओं के साथ एक युवक को गिरफ्तार किया था, इनके पास से 290 ब्राउन शुगर पुड़िया बरामद हुई थी। तीसरे केस में शहर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र और बिरसानगर थाना क्षेत्र से वर्ष 2020 में पुलिस ने 6 किलो ब्राउन शुगर जब्त कर 45 लोगों को जेल भेजा था। 6 किलो ब्राउन शुगर की कीमत करोड़ों रुपए बताई जाती है।

ऐसी ही एक घटना 15 फरवरी को जुगसलाई थाना की पुलिस ने बंगाल के मुर्शिदाबाद निवासी रहमान को 200 ग्राम ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार किया था। रहमान के साथ-साथ आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती के सादिक अंसारी को पकड़ा गया था।

वहीं 13 फरवरी को मानगो थाना क्षेत्र के इकरा कॉलोनी के रहने वाले दो युवकों को 22 पुड़िया ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार किया था। सुभाष जैसे आईपीएस अधिकारी न होते तो नशे के कारोबारी शायद ही पकड़ में आ पाते !

कई युवाओं के बेशकीमती जीवन को नशे की लत से बचाया
जमशेदपुर के शहरी इलाके में रहने वाले युवाओं के हाँथ में ब्राउन शुगर आने लगा था। हजारों युवा अपने घरों से कीमती आभूषणों की चोरी कर ब्राऊन शुगर का नशा करने लगे थें। इन युवाओं के अभिभावकों ने पुलिस से आपबीती बताई तभी शहर के अधीक्षक ने सिदगोड़ा के रहने वाले ब्रजेश (बदला हुआ नाम) को ओडिशा जिले में नशा मुक्ति अभियान में भर्ती कराया। साकची गुरुद्वारा बस्ती के रहने वाले सन्नी(बदला हुआ नाम) माता-पिता की इकलौती संतान है, ब्राउन शुगर के पीने से इनके शरीर में कंपन व असहनीय दर्द की शिकायत रहती है। इन्हें राँची के मांडर स्थित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया।इन युवकों के घरवालों के मुताबिक घर के बेटे का जीवन अधीक्षक के कारण बच पाया है।

गैंगवार में शामिल अपराधियों को लाल कोठरी में भेजने वाले आईपीएस

जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के नीतिबाग कॉलोनी में दो गैंगस्टरों के बीच गैंगवार में शामिल 36 से 38 अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें कई ऐसे अपराधी भी शामिल हैं जिन्हें अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

एक माँ की अपने नक्सली बेटे की पुकार पर अपनी ओर से की कवायद

जमशेदपुर में ग्रामीण पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान नक्सली सचिन को मुख्यधारा में लाने के लिए कई बार इन्होंने झुंझका गावँ का दौरा किया। सचिन के माता-पिता से भी मिले। दरअसल झारखंड सरकार ने सचिन की नक्सली घटनाओं को देखते हुए 15 लाख रुपए इनाम की घोषणा भी है। सचिन पर जमशेदपुर सांसद सुनील महतो की हत्या में नाम भी शामिल है। सचिन के पिता बताते हैं कि सचिन यहाँ के हाई स्कूल में पढ़ाई करता था, अचानक एक दिन घर से लापता हो गया कुछ दिनों के बाद खबर मिली कि वो नक्सलियों की संगती में है। उसके पिता बताते हैं कि उम्र रहते सचिन नक्सली दस्ते को छोड़कर मुख्यधारा के साथ जुड़ जाए तो हमारे बुढापे का सहारा मेरा बेटा बनेगा। बुढ़ापे की दहलीज पर खड़े इस माँ-पिता को आज भी अपने नक्सली बेटे का इंतजार है। सचिन की मां कहती है कि एक अंतिम बार अपने बेटे को सीने से लिपटकर लगाने की इच्छा है। काश यह सपना हक़ीक़त बन जाए !

जमशेदपुर से स्वतंत्रत पत्रकार अभिषेक कुमार की रिपोर्ट

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