सवालों के घेरे में नियुक्ति नियमावली, विधि विभाग ने बताया असंवैधानिक

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झारखंड कैबिनेट से 29 जुलाई को पारित नयी नियुक्ति नियमावली विधि सम्मत नहीं है। ये कहना है झारखंड सरकार के विधि विभाग। इस नियमावली में संविधान के अनुच्छेद का उल्लंघन किया गया।

विधि विभाग ने ये कहा था

कैबिनेट में इस नयी नियमावली को मंजूरी मिलने से पहले विधि विभाग ने परामर्श देते हुए कहा था कि यह नियमावली भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। वहीं विधि विभाग ने दो अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणी भी कि थी, इसके बाद भी राज्य सरकार ने विधि विभाग के परामर्श की अनदेखी करते हुए नयी नियुक्ति नियमावली लागू की है।

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा (इंटरमीडिएट 10+2) संचालन (संसोधन) नियमावली 2021 में परामर्श देते हुए कहा विधि विभाग ने कहा था कि अधिसूचना प्रारूप के नियम-2 में वर्णित केवल झारखंड राज्य के शैक्षणिक संस्थान से ही शैक्षणिक योग्यता हासिल किये गये अभ्यर्थी को पात्र बनाये जाने का प्रावधान भारत का संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है,
साथ ही उक्त प्रावधान के अलोक में वैसे अभ्यर्थी जो झारखंड राज्य में मात्र शिक्षा ग्रहण किये हों एवं उनके माता पिता दूसरे राज्य के निवासी हों, वे पात्र हो सकते हैं। जबकि इस राज्य के निवासी अगर अन्य राज्य से शैक्षणिक योग्यता प्राप्त किये हो, तो वे पात्र नहीं हो सकते हैं। ऐसे में यह प्रावधान व्यावहारिक एवं विधि सम्मत प्रतीत नहीं हो रहा है।


सुप्रीम कोर्ट के मामले का भी दिया रेफरेंस

विधि विभाग ने अपने परामर्श में सुप्रीम कोर्ट में चले मामले का भी रेफरेंस दिया है। AIR 1995 SC(1691) कर्नाटक राज्य बनाम कुमारी गौरी नारायण अंबिका, 1992 सप्लीमेंट्री और SCC 210 इंदिरा साव्हने बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का हवाला देते हुए विधि विभाग ने कहा है कि इन्हीं मामलों की तरह नयी नियुक्ति नियमावली भी अनुच्छेद 16(2) से प्रभावित है और नयी नियुक्ति नियमावली पर उक्त मामलों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का आदेश आच्छादित है। ऐसे में नियुक्ति नियमावली सवालों के घेरे में आ गई है।

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