Right to Disconnect Bill 2025 क्या है जिससे प्राईवेट कर्मचारियों में आ गई है खुशी की लहर
Right to Disconnect Bill 2025: राइट टू डिस्कनेक्ट बिल एक ऐसा प्रस्तावित कानून है जिसके तहत कर्मचारियों को ऑफिस के निर्धारित कार्य-समय के बाद फोन, ईमेल, व्हाट्सएप या किसी भी तरह के काम संबंधी संदेश का जवाब देने से पूरी तरह छूट मिलेगी। इसका मकसद कर्मचारियों का निजी जीवन और परिवार के साथ समय बचाना, तनाव कम करना और मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
Right to Disconnect Bill 2025: भारत में अभी क्या स्थिति है? (दिसंबर 2025 तक)
- 6 दिसंबर 2025 को लोकसभा में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025 नाम से निजी विधेयक पेश किया।
- इसी दिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी एक अलग विधेयक पेश किया जिसमें मौजूदा श्रम कानून में संशोधन करके राइट टू डिस्कनेक्ट को शामिल करने की मांग की गई।
- दोनों विधेयक अभी चर्चा के चरण में हैं। निजी सांसदों के बिल बहुत कम ही कानून बन पाते हैं, लेकिन ये जनता और सरकार का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींच रहे हैं।
- केरल सरकार 2025-26 में अपना अलग राइट टू डिस्कनेक्ट बिल लाने की तैयारी कर रही है। अगर यह पास हो गया तो केरल देश का पहला राज्य बनेगा जहां यह कानून लागू होगा।
Right to Disconnect Bill 2025: इस बिल में क्या-क्या प्रस्ताव हैं?
- ऑफिस टाइमिंग के बाद या छुट्टी के दिन कोई भी काम का मैसेज, कॉल या ईमेल आने पर जवाब देना अनिवार्य नहीं होगा।
- जवाब न देने की वजह से सैलरी कटौती, प्रमोशन रोकना, डिमोशन या नौकरी से निकालना गैर-कानूनी होगा।
- अगर कर्मचारी अपनी मर्जी से ऑफ-आवर्स में काम करता है तो उसे दोगुना या तय दर से ओवरटाइम भुगतान करना जरूरी होगा।
- एक स्वतंत्र “कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण” बनाया जाएगा जो शिकायतें सुनेगा और नियम बनाएगा।
- कंपनियों को अपने कर्मचारियों और मैनेजरों को इस अधिकार के बारे में ट्रेनिंग देनी होगी।
Right to Disconnect Bill-भारत में यह बिल क्यों जरूरी हो गया है?
- भारत में लाखों कर्मचारी हफ्ते में 50-60-70 घंटे तक काम कर रहे हैं।
- स्टार्टअप और आईटी सेक्टर में “हमेशा उपलब्ध रहो” वाली संस्कृति बहुत आम है।
- हाल में पुणे की एक युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन की अत्यधिक काम के दबाव से मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया।
- सर्वे बताते हैं कि भारत के 75-80% कर्मचारी काम के तनाव और बर्नआउट से जूझ रहे हैं।
दुनिया में क्या हो रहा है ऐसा
- फ्रांस (2017 से), बेल्जियम, पुर्तगाल, स्पेन, इटली, आयरलैंड जैसे 15+ देशों में पहले से राइट टू डिस्कनेक्ट कानून लागू है।
- ऑस्ट्रेलिया ने 2024 में और कनाडा ने 2025 में यह कानून बनाया।
Right to Disconnect Bill 2025: आगे क्या होगा?
Right to Disconnect Bill 2025: अभी यह बिल सिर्फ प्रस्ताव के स्तर पर है। अगर सरकार चाहे तो इसे अपने सरकारी बिल के रूप में ला सकती है या मौजूदा श्रम कानूनों में संशोधन कर सकती है। तब तक आप अपनी कंपनी की HR से लिखित में “ऑफ-आवर्स कम्युनिकेशन पॉलिसी” बनाने की मांग कर सकते हैं।
राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 भारतीय कर्मचारियों के लिए काम और निजी जीवन के बीच संतुलन लाने की दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम है।
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राइट टू डिस्कनेक्ट बिल (Right to Disconnect Bill 2025) – पूरी जानकारी + FAQs
संक्षिप्त जानकारी
राइट टू डिस्कनेक्ट बिल कर्मचारियों को ऑफिस के तय समय के बाद काम के फोन, ईमेल, व्हाट्सएप मैसेज का जवाब न देने का कानूनी अधिकार देता है। अभी यह बिल लोकसभा में पेश हो चुका है और केरल सरकार भी अपना अलग बिल ला रही है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. राइट टू डिस्कनेक्ट बिल अभी कानून बन गया है या नहीं?
नहीं। दिसंबर 2025 तक यह अभी सिर्फ प्रस्ताव (प्राइवेट मेंबर बिल) है। सुप्रिया सुले और शशि थरूर का बिल लोकसभा में पेश हुआ है, लेकिन कानून बनने में अभी समय लगेगा। केरल सरकार 2025-26 में अपना राज्य स्तर का कानून ला रही है।
2. अगर मैं रात 9 बजे के बाद बॉस का मैसेज इग्नोर कर दूं तो क्या मुझे नौकरी से निकाल सकते हैं?
अभी कानून नहीं बना है, इसलिए कंपनी की पॉलिसी के हिसाब से जोखिम है। लेकिन जब यह कानून बन जाएगा तो रात का मैसेज इग्नोर करना पूरी तरह कानूनी होगा और कोई सजा नहीं होगी।
3. क्या यह बिल सिर्फ सरकारी नौकरी वालों के लिए है?
नहीं। यह बिल निजी क्षेत्र (आईटी, स्टार्टअप, कॉर्पोरेट, कॉल सेंटर, बैंक, सबके लिए है।
4. क्या 24×7 काम करने वाली कंपनियों (जैसे IT, BPO, मीडिया) में भी लागू होगा?
हाँ। बिल में सभी सेक्टर शामिल हैं, लेकिन शिफ्ट वालों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किए जाएंगे।
5. अगर इमरजेंसी हो तो क्या करेंगे?
बिल में इमरजेंसी या आपात स्थिति को छूट दी गई है। इमरजेंसी मैसेज पर जवाब देना जरूरी रहेगा, बाकी मैसेज को इग्नोर कर सकते हैं।
6. क्या मुझे ओवरटाइम पेमेंट अलग से मिलेगा?
हाँ। अगर आप अपनी मर्जी से रात में काम करते हैं तो दोगुना या तय दर से पेमेंट अनिवार्य होगा।
7. क्या यह बिल फ्रीलांसर और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर पर लागू होगा?
अभी सिर्फ रेगुलर और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर लागू करने की बात है। फ्रीलांसर के लिए अलग नियम बन सकते हैं।
8. अगर कंपनी ने अपनी पॉलिसي बनाई है तो क्या करें?
अभी बहुत सी कंपनियां (Google, TCS, Infosys, Deloitte, PwC) अपनी “No mail after 7 PM” पॉलिसी बना रही हैं। आप HR से लिखित पॉलिसी मांग सकते हैं।
9. क्या यह बिल पास होने में कितना समय लगेगा?
राष्ट्रीय स्तर पर 2026-27 तक कानून बन सकता है। केरल में 2025-26 में ही लागू हो सकता है।
10. क्या मुझे खुद ही यह अधिकार लेना पड़ेगा या कंपनी को बताना पड़ेगा?
जब कानून बनेगा तो कंपनी को खुद पॉलिसी बनानी पड़ेगी और आपको ट्रेनिंग भी देनी पड़ेगी।
11. क्या यह बिल सिर्फ महिलाओं के लिए है?
नहीं। यह सभी कर्मचारियों (महिला-पुरुष-ट्रांसजेंडर) के लिए है।
12. क्या मैं अभी से मैसेज इग्नोर कर सकता हूं?
कर सकते हैं, लेकिन अभी कानूनी सुरक्षा नहीं है। इसलिए पहले अपनी कंपनी की पॉलिसी चेक करें या HR से बात करें।
13. क्या यह बिल WFH वाले लोगों पर भी लागू होगा?
हाँ। वर्क फ्रॉम होम वालों के लिए भी यही नियम होगा।
14. अगर बॉस रात में कॉल करे तो क्या करूं?
आप विनम्रता से कह सकते हैं:
“सर, मैं 7 बजे के बाद मैसेज देखता हूं, क्या यह इमरजेंसी है या कल सुबह देख लें?”
अधिकांश बॉस समझ जाते हैं।
15. क्या यह बिल पास होने पर सैलरी कम हो जाएगी?
नहीं। सैलरी वही रहेगी। बस काम के घंटे नियंत्रित होंगे।
अगर आपके पास भी कोई सवाल है तो पूछ सकते हैं। यह बिल भारतीय कर्मचारियों के लिए बहुत जरूरी है ताकि हम भी परिवार के साथ समय बिता सकें और स्वस्थ रह सकें।
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