बैंक मैनेजर से IPS अधिकारी बनने की ‘प्रभात’ की संघर्षमय कहानी

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कहते हैं प्यार इंसान को कमजोर बना देता है। लेकिन IPS प्रभात का प्यार उनकी ताकत बन गई और फ़िर अपने मुकाम हासिल करने की ज़िद के आगे जीत तो मुक़द्दर ने तय कर दिया। ‘झारखंड की बात’ के विशेष शृंखला में आज झारखंड के एक ऐसे IPS की कहानी जिसने बैंक से कर्ज लेकर माँ-बाप और अपने ‘प्रेयसी’ के आँखों से देखे सपने को पूरा किया।

IPS अधिकारी ‘प्रभात कुमार’ (File Photo)

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में हर वर्ष लाखों अभ्यर्थी शामिल होते हैं, लेकिन इनमें से हज़ार के करीब अभ्यर्थी ही इस सेवा के लिए चुने जाते हैं। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाला हर अभ्यर्थी कठोर परिश्रम और तमाम मुश्किलों से होकर गुजरता है। कई अभ्यार्थियों की किस्मत बदलती है तो कई इस कठिन परीक्षा की मंजिल को पाने में असफल रह जाते हैं। लेकिन हम आपको झारखंड के एक ऐसे IPS की कहानी बताने जा रहे हैं जिनकी जिद ने उन्हें उनकी ‘मंजिलों’ तक पहुँचा ही दिया।

एक बेहतरीन आईपीएस होने के साथ-साथ वे एक  बैंकर भी रहे हैं। साल 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी ‘प्रभात कुमार’ मूल रूप से बिहार के वैशाली के रहने वाले हैं। MBA की पढ़ाई पुणे से करने के बाद 4 सालों तक एक निजी बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम किया। IPS की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद साल 2016 में उनकी पहली तैनाती झारखंड के धनबाद में बतौर SDPO (Trainee IPS) के रूप में हुई। वर्ष 2017 से 2018 तक जमशेदपुर में ग्रामीण एसपी की ज़िम्मेदारी निभा चुके प्रभात वर्ष 2018 से 2019 तक जमशेदपुर के शहरी क्षेत्र में बतौर पुलिस अधीक्षक नगर भी पदस्थापित रहे। वर्तमान में वर्ष 2019 से झारखंड के रामगढ़ जिला SP के रूप में कार्यरत हैं।

यह कहानी है एक ऐसे नौजवान की जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं और पाने के लिए सारा जहाँ था। जिसका बचपन एक छोटे से कमरे में बिता, वर्ष 2014 में आईपीएस की बेहद कठिन परीक्षा पास करने वाले प्रभात एक बेहद मध्यम वर्गीय परिवार से तालुक रखते हैं। उनके पिता छोटे किसान हैं और उनका जीवन भी बड़ा संघर्षमय रहा है। प्रभात नहीं चाहते थे कि उनके पिता को और संघर्ष करना पड़े इसके लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का कुछ ख़र्चा निकाला करते थे। दिन में अर्थिकोपार्जन के लिए टियूशन पढ़ाते और रात में अपनी पढ़ाई के लिए समय निकाला करते थे।

जब पिता ने रिस्तेदारों को फ़ोन कर कहा बेटे को बोलिए नौकरी ना छोडे…

MBA की पढ़ाई करने के लिए इनका चयन पुणे के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में हुआ। पढ़ाई पूरी करने के लिए इनके पास पैसे नहीं थें, तभी कॉलेज के सामने वाली गेट के पास बैंकों की एक लंबी कतार लगी हुई थी। इन्होंने बैंक के कर्मचारियों से बात कर कहा पढ़ने में आर्थिक संकट आ रही है। पढ़ाई के प्रति इनके लगन को देखते हुये बैंक कर्मचारियों ने ‘शिक्षा लोन’ की स्वीकृति दे दी और इनका नामांकन पुणे के उस प्रसिद्ध कॉलेज में हो गया।

कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद लोन भरना पहली प्राथमिकता थी। इसके बाद अपने पैतृक गावँ में घर व मंदिर बनाने की भी जिम्मेदारी इन्हें निभानी थी। निजी बैंक में 4 सालों तक काम करने के बाद इन्होंने लोन और घर बनाने की जिम्मेदारी को पूरा तो कर लिया। लेकिन आगे बढ़ने के ज़ीद को कभी मरने नहीं दिया। अमूमन कोई भी नौकरी करने वाला एक अदद नौकरी से संतुष्ट होकर अपने जीवन की राह को बदल देता है। लेकिन ऊंची डिग्रियों को हासिल करने और मंजिल तक पहुंचने की जिद का मजा ही कुछ अलग है। प्रभात में विफलताओं को मात देकर संघर्ष करते हुए लगातार आगे बढ़ने की जिद ही तो थी। लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था। राह में कांटे ही कांटे थे, पैसे की कमी सबसे बड़ा संकट था। लेकिन इन सबसे आगे उनकी आगे बढ़ने और सपनों को हक़ीक़त में बदल दने की ज़िद  ने उन्हें एक काबिल IPS Officer बना ही दिया।

झारखंड के कुख्यात अपराधी अखिलेश सिंह को सलाखों के पीछे भेजने वाले IPS

  • आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले 5 लाख के इनामी कुख्यात अपराधी अखिलेश सिंह को साल 2017 में हरियाणा के गुड़गांव से गिरफ्तार किया गया था। अखिलेश सिंह पर 60 से ज्यादा अपहरण, फिरौती, हत्या के आपराधिक मामले दर्ज हैं। अखिलेश को गिरफ्तार करने की योजना इनके द्वारा ही की गई थी। अखिलेश वर्तमान में जेल के सलाखों के पीछे है।
  • जमशेदपुर में ग्रामीण एसपी रहने के दौरान वहां हो रहे अवैध खनन, नीलम पत्थर व अन्य अवैध पत्थरों का इस्तेमाल कर रहे अपराधियों पर अंकुश लगाया।

जमशेदपुर में ग्रामीण पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान इनके द्वारा नक्सली सचिन को मुख्यधारा में लाने के लिए कई बार उसके झुंझका गावँ का दौरा किया गया। नक्सली के माता-पिता से भी इनकी मुलाक़ात हुई। दरअसल झारखंड सरकार ने सचिन की नक्सली घटनाओं को देखते हुए 15 लाख रुपए इनाम की घोषणा भी है। सचिन पर जमशेदपुर सांसद सुनील महतो की हत्या में नाम शामिल है। उम्र की दहलीज पर खड़े इस माँ-पिता को आज भी अपने नक्सली बेटे का इंतजार है। सचिन की मां कहती है कि एक अंतिम बार अपने बेटे को सीने से लिपटकर लगाने की इच्छा है। सचिन के मां के इस सपने को हकीकत में बदलने के भरसक प्रयास प्रभात ने जमशेदपुर ग्रामीण SP रहते हुये किया था।

जमशेदपुर में सिटी एसपी रहने दौरान इन्होंने 24 साईबर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुँचाया, जिनपर कई राज्यों की पुलिस लगी हुई थी। जिसमें करोड़ों रुपए की रिकवरी हुई थी।

रामगढ़ एसपी की जिम्मेदारी निभाने के दौरान इनके द्वारा अवैध कोयला ढुलाई को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

IPS प्रभात कुमार के 2016 से शुरु हुये बेहद कम अवधि के कैरियर में ढेरों उपलब्धियां इनके नाम हैं। सेवा, सहयोग व समाज के प्रति समर्पण की भावना से ये आगे भी समाज को अपराध व भयमुक्त करने की दिशा में अपनी महती भूमिका निभाते रहेंगे। इस आशा व भरोसे से साथ ‘झारखंड रिपोर्टर’ इनके उज्ज्वल व उपलब्धियां भरे भविष्य की मंगलकामना करता है। ‘अभिषेक कुमार’ की रिपोर्ट।

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