Garhwa में मनरेगा की मेधा सूची में फर्जीवाड़ा: BPO व इंजीनियर पदाें की नियुक्ति में इस तरह हुई हेराफेरी
- शैक्षणिक योग्यता व अंक बढ़ा तय किए चहेताेंं के नाम
- पहली सूची में अभ्यर्थियों के अंक कम थे, दूसरी सूची में बढ़ा दिया गया अंक
गढ़वा में मनरेगा योजना काे पूरा करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति की चयन प्रक्रिया में हेराफेरी का मामला सामने आया है। जिले में कॉन्ट्रैक्ट पर प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (BPO), सहायक अभियंता (AE) और कनीय अभियंता (के) के 29 पदाें पर नियुक्ति हाेनी थी। इन पदाें के लिए 2741 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। आरोप है कि चयन समिति ने आवेदन की दूसरी सूची में चहेतों अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाकर उनके नाम तय कर दिए।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक़ कुमार आनंदी, वीर अभिमन्यु, आनंद कुमार रजक, राजू रंजन कुमार, जब्बार अंसारी, शोएब खान, पंकज कुमार समेत कई आवेदकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने लाेकायुक्त, मनरेगा आयुक्त, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, आयुक्त और गढ़वा डीसी से शिकायत की है। ग्रामीण विकास विभाग गढ़वा में इसी साल 23 जुलाई काे संविदा आधारित वैकेंसी निकाली थी।
न्यायालय की शरण में प्रभावित अभ्यर्थी, लाेकायुक्त, मनरेगा आयुक्त, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, आयुक्त, डीसी से शिकायत आवेदकों का कहना है कि चयन समिति ने मनमाने तरीके से मेधा सूची जारी कर दी है, मामले पर प्रभावित अभ्यर्थियों में आक्रोश है।
3 उदाहरणों से समझें… BPO, JE और AE पद के लिए चयन प्रक्रिया में कैसे की गई हेराफेरी
BPO पद की मेधा सूची में बदल दी गई शैक्षणिक योग्यता
1. प्रमोद कुमार गोंड जिला में ठेकेदारी करते हैं। उन्होंने बीपीओ पद के लिए आवेदन दिया था। जिला चयन समिति ने आवेदन स्वीकार करने के बाद पहली सूची जारी की थी, उसमें शैक्षणिक योग्यता वाले काॅलम में PGDCA का जिक्र नहीं था। अभियुक्ति काॅलम भी खाली था। मेधा सूची जारी की गई तो शैक्षणिक योग्यता वाले काॅलम में PGDCA अंकित कर दिया गया। इसी पद के लिए पवन कुमार ने भी आवेदन दिया था। उनके शैक्षणिक योग्यता वाले काॅलम में पीजीडीआरडी का जिक्र नहीं था। बाद में डबल ग्रेजुएशन और PGDRD दिखाई गई। पवन 2017 से प्रखंड समन्वयक हैं।
पहले बीकाॅम में 63.25% और बाद में 86.40% दिखाया अंक
2. राजू कुमार ने बीपीओ पद के लिए आवेदन दिया था। चयन समिति की पहली सूची में उनकी शैक्षणिक योग्यता बीकॉम 63.25 प्रतिशत (पूर्णांक 800) और एमबीए की डिग्री थी। अभियुक्ति काॅलम खाली था। मेधा सूची में बीकॉम 86.40 फीसदी (पूर्णांक 1500) से पास दिखाया। पीजीडीसीए की डिग्री भी जाेड़ दी गई। राजू कुमार गढ़वा में कम्प्यूटर आपरेटर हैं। इसी तरह बीपीओ पद के आवेदक कमल सागर और विकास कुमार केशरी के मामले में भी अनियमितता बरती गई है। ऐसे अधिकांश अभ्यर्थी पहले किसी न किसी कार्यालय में कार्यरत रहे हैं।
AE और JE के दो आवेदन दिए, दाेनाें में थे अलग-अलग मार्क्स
3. रंजीत कुमार वर्मा ने सहायक अभियंता औकनीय अभियंता पद के लिए आवेदन दिया था। चयन समिति की पहली सूची में शैक्षणिक प्रमाण पत्र वाले काॅलम में दाेनाें पदाें पर इनकी योग्यता पीजीडीसीए (प्राप्तांक 73.58 प्रतिशत) थी। बाद में जारी मेधा सूची में कनीय अभियंता पद पर रंजीत कुमार वर्मा का प्राप्तांक 73.58% और सहायक अभियंता में प्राप्तांक 88.88 प्रतिशत कर दिया गया। संशोधित सूची में कनीय अभियंता पद पर प्राप्तांक 73.58 और सहायक अभियंता पद पर 88.88% रहा। रंजीत 2017 से ग्रामीण विकास विभाग में कनीय अभियंता के पद पर कार्य कर चुके हैं।
गढ़वा डीसी राजेश कुमार पाठक का कहना है कि “इस गड़बड़ी के बारे में अभी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। छुट्टियों के कारण कुछ देख नहीं पाया इसलिए कुछ भी कहना संभव नहीं होगा। इस मामले को सोमवार को देखेंगे। जांच की जाएगी। किसी तरह की गड़बड़ी मिली ताे दाेषियाें पर कार्रवाई हाेगी।”